आया है वासंती मौसम
आया है बासंती मौसम,पुष्प खिला मन उपवन में ।
प्रेम-गंध पा मुग्ध भ्रमर-सा,थिरक रहा मन आँगन में।
मादकता सुरभित साँसों में,प्रेम कोंपलें महक रही-
प्रणय बद्ध होने को आतुर,भरी प्रीत नव यौवन में।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
आया है बासंती मौसम,पुष्प खिला मन उपवन में ।
प्रेम-गंध पा मुग्ध भ्रमर-सा,थिरक रहा मन आँगन में।
मादकता सुरभित साँसों में,प्रेम कोंपलें महक रही-
प्रणय बद्ध होने को आतुर,भरी प्रीत नव यौवन में।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली