आम पर विचार (मुक्तक)
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सब आम खा रहे थे मैंने भी खाया,
हाय! इतना खट्टा आम मेरे हिस्से क्यों आया।
इस खट्टे आम का मैंने अचार क्यों नहीं बनाया,
उम्मीद है यह “आम” मुक्तक आपको पसंद आया।।
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स्वरचित एवं मौलिक
मैं
16-06-2021
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सब आम खा रहे थे मैंने भी खाया,
हाय! इतना खट्टा आम मेरे हिस्से क्यों आया।
इस खट्टे आम का मैंने अचार क्यों नहीं बनाया,
उम्मीद है यह “आम” मुक्तक आपको पसंद आया।।
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स्वरचित एवं मौलिक
मैं
16-06-2021