आम नहीं, खास हूँ मैं
मेरे जीवन में कई सपने थे, जिन्हें पूरा करने के लिए मैंने कोलकाता के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला लिया। कोलकाता मेरे लिए एक नया और अजनबी शहर था, लेकिन मैंने अपने मन में बहुत उम्मीदें पाल रखी थीं। शायद उन उम्मीदों के बीच ही मेरी मुलाकात अर्नव से हुई।
अर्नव असम का रहने वाला था, बहुत शांत और संजीदा। पहली बार उसे लाइब्रेरी में देखा, जब मैंने उससे मदद मांगी थी।
“क्या तुम भी इस विषय पर पढ़ाई कर रहे हो? मुझे इस चैप्टर में थोड़ी मदद चाहिए,” मैंने उससे पूछा था।
उसने मुस्कुरा कर कहा, “हाँ, मैं भी यही पढ़ रहा हूँ। हम साथ में पढ़ सकते हैं।”
शायद यही वह पल था, जब हमारे बीच की दोस्ती की शुरुआत हुई। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई और कब प्यार में बदल गई, पता ही नहीं चला। हम एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे।
कॉलेज के आखिरी साल में अर्नव को नौकरी भी मिल गई। हमारे मध्यमवर्गीय समाज में एक लड़की को और क्या चाहिए? एक प्यार करने वाला पति और पति को एक अच्छी नौकरी। अपनी सभी महत्वाकांक्षाएँ पीछे छोड़, अपने परिवार के बारे में सोचने लगती है। मैंने भी यही किया। कॉलेज के आखिरी साल तक हमने शादी करने का फैसला कर लिया था।
हमारी सांस्कृतिक भिन्नताएँ भी हमारे बीच तालमेल बैठाने में कोई बाधा नहीं बनीं। भले ही हमारे परिवारों में कुछ आरंभिक हिचकिचाहट थी, लेकिन हमारा प्यार इन सब बाधाओं पर भारी पड़ा। कॉलेज खत्म होने के बाद, जल्द ही हम शादी के बंधन में बंध गए।
हमारी शादी के बाद, अर्नव को नौकरी की पोस्टिंग गंगटोक में मिल गई, और मैं भी उसके साथ वहाँ चली गई। पहाड़ियों में बसे एक छोटे से सुंदर घर में हमने अपना जीवन शुरू किया। मैंने एक नई जगह, नई संस्कृति, और नए लोगों के बीच अपने आपको ढाल लिया था। पहले कुछ महीनों तक सब कुछ बिल्कुल ठीक था। लेकिन समय के साथ, मैंने महसूस किया कि हमारे बीच कुछ बदल रहा था।
शुरुआत में तो मैंने इसे नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन जब छोटी-छोटी बातों पर झगड़े बढ़ने लगे, तो मुझे चिंता होने लगी। एक दिन मैंने अर्नव से सीधे-सीधे पूछ लिया, “क्या तुम्हें लगता है कि हमारे बीच कुछ बदल गया है? तुम्हें कुछ कहना है मुझसे?”
उसने बिना आँखें मिलाए कहा, “नहीं, रिया, सब ठीक है। बस काम का थोड़ा तनाव है।”
मैंने सोचा, शायद यह सब सामान्य है, लेकिन फिर मैं गर्भवती हो गई। यह खबर सुनकर मुझे लगा कि हमारी जिंदगी में खुशियाँ लौट आएंगी। मैंने अपनी माँ के पास गुवाहटी जाने का फैसला किया, ताकि बच्चे का जन्म वहाँ हो सके।
इस बीच, फोन पर हमारी बातें होती थीं, पर अर्नव हमेशा बात जल्दी खत्म करने की कोशिश में रहता था और बातों में वो भावनाएँ भी नहीं होती थीं जो पहले मेरे लिए होती थीं। पूछने पर बस यही कहता, “सब ठीक है, काम का थोड़ा टेंशन है।” मैं अपने मातृत्व की हर खुशी अर्नव के साथ साझा करना चाहती थी, पर न तो वह मेरे पास था, न ही फोन पर ठीक से बात करता था। जैसे-जैसे डिलीवरी का समय पास आता गया, मेरी घबराहट बढ़ती जा रही थी। अर्नव के साथ-साथ अपने आने वाले बच्चे दोनों के लिए। पर मुझे उम्मीद थी कि बच्चे के होने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा।
अब जब डिलीवरी का समय आ गया, मैंने अर्नव को फोन पर कहा, “अर्णव, मुझे डर लग रहा है। तुम आ जाओ।”
अर्नव ने बहुत ही सूखी आवाज में कहा, “तुम तो अपनी फैमिली के पास ही हो, डर क्यों रही हो? मैं थोड़ा काम में फँसा हूँ। टाइम मिलते ही आने की कोशिश करूँगा।”
मुझे बहुत गुस्सा आया और साथ में रोना भी। मेरी माँ ने मुझे संभाला। “शादी में उतार-चढ़ाव चलते रहते हैं। सब ठीक हो जाएगा। अभी गुस्सा करोगी तो बेबी पर बुरा असर होगा।”
पर मेरा मन अब थोड़ा-थोड़ा टूटने लगा था। और अर्नव डिलीवरी के दिन भी नहीं आया।
जब मैंने अर्नव को फोन पर बताया कि हमारी बेटी आन्या ने पहली बार मुस्कुराया, तो उसकी ठंडी प्रतिक्रिया ने मुझे भीतर से तोड़ दिया। उसने बस इतना कहा, “हूँ… अच्छा है।”
मैंने खुद को तसल्ली दी कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन जब मैं गंगटोक वापस लौटी, तो घर बंद मिला। मेरे पास दूसरी चाभी थी। मैंने दरवाजा खोलकर अपनी बेटी के साथ अंदर चली गई। मैंने सोचा, वह कहीं गया होगा, आ जाएगा। पर अर्नव गायब था। मैंने उसे बार-बार कॉल किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। शायद उसे मेरे आने का पता चल गया था। घर में अकेले, एक नवजात बच्ची के साथ, मैं डर और असमंजस में जी रही थी। मैंने उसकी तलाश की, उसके दोस्तों और सहकर्मियों से पूछा, लेकिन कोई कुछ नहीं जानता था।
गंगटोक में रहने के दौरान मेरी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ने लगी थी। मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं खुद और अपनी बेटी की देखभाल कर सकूं। मैंने किसी तरह अपने माता-पिता से कुछ पैसे लिए, और कुछ दिन और रुकने का फैसला किया, लेकिन वह भी ज्यादा दिनों तक नहीं चला। मैं अर्णव के इरादों और उसकी मनस्थिति से बिल्कुल अनभिज्ञ थी। आखिरकार, मैं वापस सिलीगुड़ी चली गई।
वापस लौटते ही मुझे अर्नव की ओर से एक पत्र मिला, जिसमें तलाक का नोटिस और गंगटोक की अदालत में एक केस दर्ज करने की सूचना थी। यह मेरे लिए एक और बड़ा झटका था। जब आप लव मैरिज करते हो तो परिवार वालों को भी लड़के के बारे में ज़्यादा पता नहीं होता है, इसलिए वे लोग भी ज़्यादा मदद नहीं कर पाते हैं। फिर भी, मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया और मुझे टूटने नहीं दिया।
मैंने अपने भाई से मदद मांगी। “भैया, ये सब कैसे हो सकता है? मैंने अर्नव पर इतना विश्वास किया, और अब वह मुझे इस तरह छोड़ रहा है।” मैंने रोते हुए उससे कहा।
उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा, “रिया, मैं जानता हूँ कि ये बहुत कठिन समय है। लेकिन तुम्हें अब मजबूत बनना होगा। हम सब तुम्हारे साथ हैं।”
मैंने हिम्मत जुटाई और हाई कोर्ट में केस को गुवाहटी स्थानांतरित करने की अपील की, जो स्वीकार हो गई। इस बीच, मैंने अपने पुराने YouTube चैनल को फिर से शुरू किया और वीडियो पोस्ट करने लगी। धीरे-धीरे मेरे चैनल ने रफ्तार पकड़ी और मेरी पहचान बनने लगी।
मैंने कोर्ट की कार्यवाही के बीच खुद को मजबूत बनाया। जब एक साल बाद पहली बार कोर्ट में मैंने अर्नव को देखा, तो मेरे अंदर का दर्द और गुस्सा एक साथ फूट पड़ा।
“तुमने ऐसा क्यों किया, अर्नव? हमारी बेटी के लिए भी तुम्हारे दिल में कोई जगह नहीं थी?” मैंने गुस्से से पूछा।
वह नजरें चुराते हुए, बिना कुछ बोले मुँह फेर कर चला गया।
उस पल मुझे एहसास हुआ कि अर्नव अब मेरे जीवन में कोई मायने नहीं रखता। मैंने सुना था कि वह अब मेरे किसी दोस्त के साथ रह रहा था। यह जानकर मेरा गुस्सा और भी बढ़ गया।
दो साल के लंबे कोर्ट केस के बाद, हमारा तलाक फाइनल हो गया। कोर्ट ने मेरी बेटी के भविष्य के लिए हमें अर्नव की संपत्ति में से हिस्सा दिलाया। मैंने अपने जीवन की सबसे कठिन लड़ाई जीत ली थी, और अब मुझे अपनी बेटी के लिए एक नई और सुरक्षित जिंदगी बनानी थी।
अभी हाल ही में, अचानक मेरी अर्नव से मुलाकात हुई। उसने माफी मांगने की कोशिश की, लेकिन अब मुझे उसकी परवाह नहीं थी। मैंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ खोया था, लेकिन अब मैं मजबूत थी।
मैंने दृढ़ता से कहा, “मुझे तुमसे घृणा है, अर्नव। मुझे खुद से नफरत है कि मैंने तुमसे प्यार किया और तुम पर विश्वास किया। अब मेरी दुनिया मेरी बेटी है, और तुम हमारे लिए कुछ भी नहीं हो। मेरी जिंदगी में अब कभी वापस मत दिखना। मेरी बेटी पर भी तुम्हारा कोई हक नहीं है।”
उस दिन के बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अब मैं अपनी बेटी के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही हूँ। मैंने अपने छोटे से व्यवसाय को बड़ा बना लिया है, और मेरा YouTube चैनल भी तेजी से बढ़ रहा है। मैंने सीखा है कि मुश्किल वक्त में भी हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। आज, मेरी बेटी मेरी प्रेरणा है, और उसके लिए मैं हर दिन और भी मजबूत होती जा रही हूँ।
मुझे अब पता चल गया है आम नहीं, खास हूँ मैं ! और ये सबको लगना चाहिए तभी हम सब खुद की इज्जत करेंगे और खुद का ख्याल रखेंगे।