आम का वृक्ष
देख रही थी मैं कई दिन से
सामने वाले
खेत की हरियाली
सिमट गई थी
ईंट की चारदीवारी के भीतर
पर थी तो सही
कभी-कभी आती थी एक औरत
और छील ले जाती थी
सारी हरियाली अपनी पैनी दराती से
पर धरती ने बुरा नहीं माना कभी भी
दो एक ही दिन बाद
फिर से सिर उठा लेती हरियाली
ईंट की चारदीवारीके साथ
दोनों ओर
खड़ा था
आम का एक-एक पेड़
हर साल देता था
मीठे-रसीले आम
पत्थर मारने वाले बच्चों को
और एक दिन मैंने देखा
चारदीवारी के पास
लगा था लकड़ियों का ढेर
क्योंकि
काट दिया गया था
आम का एक ओर का छतनार पेड़
चारदीपारी के पास खड़े थे
रेत बजरी और
ईंटों से भरे विशालकाय ट्रक
अब बन जाएगा यहाँ
कंक्रीट का एक वट वृक्ष
काट दिया जाएगा
दूसरा पेड़ भी
क्योंकि
वह भवन के लिए बाधा जो है
घर के लोग
रहेंगे प्रसन्न
करके दो वृक्षों की हत्या
जो हर वर्ष देते थे उन्हें
मीठे-रसीले आम
और गुठलियाँ
जिनसे पैदा होते असंख्य आम्रकुंज