आभार…
शाम हो चली है एक दिया कहीं जला दो,
मेरे मन है उठ रही लहरों को कोई थमा दो।
क्या पता आज हूं जिंदा तेरे वास्ते शायद ,
एक बार मेरी सांसों को गिन कर जरा बता दो।
शाम हो चली है एक दिया कहीं जला दो,
मेरे मन है उठ रही लहरों को कोई थमा दो।
क्या पता आज हूं जिंदा तेरे वास्ते शायद ,
एक बार मेरी सांसों को गिन कर जरा बता दो।