आभार सवैया
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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आभार सवैया
(8 तगण -221×8)
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बैठा हुआ है छिपा वो सभी मेंं न देता दिखाई ठिकाना न व्यापार ।
वो ही बसा है उरों में सभी के नहीं जानते हैं कहाँ धाम संसार ।।
जो भी उसे खोजता मौन होता बताता न कैसा लगे है कलाकार ।
माया उसी की नहीं ध्यान जाता नहीं जान पाते कभी सत्य का सार ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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