आप सा होगा न दूजा
चेहरा है चाँद सा,
नशा है मुस्कान में।
जुल्फ इतनी है घनी,
बादल हो आसमान में।
लेखनी तो रूक गयी,
क्या लिखू तारीफ में।
आप सा होगा न दूजा,
सारे इस जहान में।
चेहरा है चाँद सा,
नशा है मुस्कान में।
जुल्फ इतनी है घनी,
बादल हो आसमान में।
लेखनी तो रूक गयी,
क्या लिखू तारीफ में।
आप सा होगा न दूजा,
सारे इस जहान में।