आप जब तक दुःख के साथ भस्मीभूत नहीं हो जाते,तब तक आपके जीवन क
आप जब तक दुःख के साथ भस्मीभूत नहीं हो जाते,तब तक आपके जीवन की कोई सार्थकता नहीं है।
दुःख क्या है,इसी की खोज में गए,राजकुमार सिद्धार्थ,,,बुद्ध होकर लौटे।
जब दुःख हममें अपनी पूरी दीप्ति के साथ उजागर होता है,हम सब भी बुद्ध हो जाते हैं,हममें ज्ञान का वह सूक्ष्म बिंदु उदित होता है,जो पूरे ब्रह्माण्ड को उजाले से भर देता है।
(कहानी-तथागत से)