आप कौन ?
एक बार एक सज्जन अपने चेहरे पर कुछ रामलीला के रावण जैसी भवभंगिमाएँ और तन पर खद्दर का सफेद कुर्ता पजामा धारण कर , अपने कुछ साथियों के साथ जो कि अपने व्यवहार से रावण के साथ चलने वाले छोटे-मोटे राक्षसों की तरह राक्षसी प्रव्रत्ति के लग रहे थे , जो मुझे दिखाने के लिए धड़धड़ाते हुए मेरे ओपीडी में घुस आए , उन दिनों मेरा ओपीडी सरकारी था और उन्होंने सरकारी पर्चा भी नहीं बनवाया था अतः मैंने उनकी तकलीफ सुनने से पहले उनका नाम जानने के लिए मैंने पूछा आप कौन ?
उन्होंने मेरे प्रश्न का उत्तर मुझे ना देकर अपने साथ आए हथियारबंद कंधे पर दुनाली बन्दूक टांगे साथियों से गौरवान्वित लहजे में कहा इन्हें मेरा परिचय दे दो । इसके पश्चात मेरे कान बंद हो गए और इसके आगे उनके साथियों ने उनका जो भी उनका परिचय मुझे दिया उसे सुनने का दिखावा करते हुए मैंने तुरंत उनकी पीसीएम सीपीएम बीसी की चिट बना कर उन्हें थमाई और अपनी जान बचाई ।
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इसी प्रकार एक बार मेरे ओपीडी में एक दुबला पतला सा नवयुवक मुँह में गुटका भरे मुझे पेट दर्द के लिए दिखाने आया मैंने उससे कहा सामने मेज पर लेट जाओ और अपना पेट खोलकर घुटने मोड़कर पेट ढीला कर लो । वह मेरे सामने मेज पर लेट गया फिर उसने अपनी शर्ट ऊपर कर अपनी स्टील के छल्लों से बनी बेल्ट को कमर से खोलकर पास में रख लिया उसके पश्चात पेंट खोलकर पेंट की कमर की बटन खोल कर उसने हाथ डालकर एक 9 इंच लंबे तथा एक 3 इंच लंबे फल वाले दो चाकू निकालकर बेल्ट के पास रख दिए फिर उसने उसने दाहिनी ओर कमर में हाथ डाल कर एक लोहे का देसी कट्टा और चार कारतूस निकाल कर रख दिए । अब जब वह पेट खोलकर मेरे सामने लेटा तो मेरी नजर उसके पेट के बजाय उसके बराबर में निकले असलहों पर टिकी हुई थी , फिर भी मैंने हाथ से उसके पतले , पीठ से लगे पेट को टटोलना चाहा तो एक बांस की तरह उसकी रीढ़ की हड्डी मुझे महसूस हुई , ।मैंने मुछा आप कौन ?
वह ‘ बोला मैं प्रधान जी का बेटा हूं । ‘
मैं उसे सलाह देना चाहता था कि यदि तुम इतना लोहा अपने पेट और कमर के स्थान पर पर बांधना छोड़ दो तो स्वयं ही ठीक हो जाओगे ।
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इसी प्रकार एक सज्जन अक्सर मेरे ओपीडी में दिखाने आया करते करते थे । मेरे स्टाफ ने मुझे एक दिन बताया कि यह बाहर उन सब पर खूब रौब जमाते हैं उनसे घुड़क कर बात करते हैं , पर्चा भी नहीं बनवाते हैं और कहते हैं तुम मुझे अभी नहीं जानते हो ?
सर आप जानते हैं यह कौन हैं ? आप प्लीज कभी इनसे पूछ कर बताइएगा । क्योंकि हर चिकित्सक का अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में एक तिहाई ऐसे ही टटपुँजिया लोगों से वास्ता पड़ता है अतः मैं ऐसे लोगों का परिचय जानने के लिए वह बहुत उत्साहित नहीं रहता फिर भी अपने अपने स्टाफ की उत्सुकता पूरी करने के लिए मैंने उनसे पूछा आप कौन ?
वह तुरंत हाथ जोड़कर झुककर याचक जैसी मुद्रा में हड़ बड़ाते हुए बोले हुजूर माई बाप मैं ? आप मुझे नहीं पहचानते ?? मैं आपका छोटा भाई !
मैं हतप्रभ था , मैं उनसे यह कहना चाहता था कि मैं यह जानते हुए भी कि कभी मेरे पिताजी की एक पोस्टिंग इस जिले में हुई थी पर उस दौरान कहीं उनके किसी अन्य रिश्ते से मेरा कोई भाई भी पैदा हुआ था इसका जिक्र उन्होंने मुझसे क्यूँ नहीं किया ।
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इसी प्रकार एक बार मैंने अपने अस्पताल में एक युवक को भर्ती कर लिया जब मेरा स्टाफ ने उसके लिए बेड तैयार करके उसे लेटने के लिए कहा , तब तक मैं भी वहां पहुंच गया तो उन्होंने मुझे कुछ देर ठहरने का इशारा किया , मैंने देखा कि उन लोगों ने उस युवक को लिटा कर उसके सिरहाने तकिए के पास एक रिवाल्वर रख दी , फिर उसके बाईं ओर एक लंबी सी दुनाली बंदूक किसी नई नवेली दुल्हन की भांति लिटा कर रख दी । उनमें से दो लोग हथियारबंद होकर वार्ड के गेट पर स्टूल डालकर चौकन्ना होकर बैठ गए ।
मैंने पूछा आप कौन ?
उसके पिताजी ने बताया गर्व से बताया यह मेरा बेटा है और छात्र नेता है ।
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पता नहीं कुछ लोग इतनी अकड़ ( attitude ) मैं क्यों डॉक्टर से व्यवहार करते हैं जबकि उन्हें मालूम नहीं है कि उनकी तकलीफों में जो भी एमसी , बीसी ,पीसीएम , सीपीएम की गोली लगनी है वह उसी डॉक्टर ने ही देनीहै ।
पर कभी कभार ऐसा भी हुआ है जब मैंने किसी से पूछा आप कौन ?
तो उसने उत्तर दिया हुज़ूर मैं किन्नर हूं और मैं उसकी विनम्रता से कृतज्ञ हो गया। उस दिन मेरी आमदनी में एक किन्नर का भी सहयोग जुड़ गया । मैं उसे अपने अधिकांश सभ्य , शालीन अन्य रोगियों की श्रेणी में रखते हुए सोचने लगा उन सबसे अच्छा तो मेरा यह किन्नर है जो निश्चल भाव से मेरे पास आया । कुछ लोग तो अपने विनम्र व्यवहार से चिकित्सक को भावनात्मक रूप से इतना बांध लेते हैं कि चिकित्सक को भी उनमें नारायण का वास दिखाई देता है और वह वह भी उसी भवना से उनके रोग के निदान में जुट जाता है ।