हर तरफ होती हैं बस तनहाइयां।
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
मारी थी कभी कुल्हाड़ी अपने ही पांव पर ,
मानवता का शत्रु आतंकवाद हैं
जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
हिन्दी भाषा के शिक्षक / प्राध्यापक जो अपने वर्ग कक्ष में अंग
हमने बस यही अनुभव से सीखा है
हमारे पास एक गहरा और एक चमकदार पक्ष है,
🥀*गुरु चरणों की धूलि*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
झूठे लोग सबसे अच्छा होने का नाटक ज्यादा करते हैंl
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
छोटी-सी बात यदि समझ में आ गयी,
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"