आप और हम जीवन के सच….……एक कल्पना विचार
गुरु दक्षिणा आज आधुनिक युग हम सभी को गुरु दक्षिणा के लिए इस कहानी को प्राचीन कल के एकलव्य से जोड़ना होगा। आज हम सभी गुरु दक्षिणा के सच और आज समय के साथ साथ इतिहास को भी पढ़ें। आज जीवन के सच में हम सभी गुरु दक्षिणा के विषय में क्या सोचते हैं ऐसा कुछ है क्या परंतु आज भी कहीं ना कहीं कोई लोग ऐसे भी हैं जो गुरु दक्षिणा के विषय में सोचते सभी शायद यह संसार चल रहा है हां ऐसा भी नहीं है कि हम सभी इतिहास झूठा कर दें। हम सभी के जीवन में कहीं ना कहीं अपना स्वार्थ और अपनी सोच रहती है शायद यही कारण है कि हम किसी को सच के साथ नहीं अपना बनाते हैं क्योंकि हम केवल अपने स्वार्थ परिवार से पहले अपने बारे में सोचती हूं हम दूसरे की सोच और शब्दों को मन भावनाओं को महत्व नहीं देते हैं। इसलिए जीवन में बहुत से रहे भटक जाते हैं और हम एक दूसरे के लिए धन और लोभ के कारण अपने ही बातों और शब्दों से एक दूसरे के प्रति गलत हो जाते हैं। और गुरु दक्षिणा के लिए.……..
जिसमें गुरु ने बिना कुछ सोच एकलव्य का दाएं हाथ का अंगूठा मांग लिया था। और एकलव्य ने भी बिना सोचे गुरु की आज्ञा का पालन किया था। शायद हम सभी सोच सकते हैं कि ऐसे गुरु और ऐसी दक्षिणा देने वाले आज के युग में शायद असंभव है हम सभी गुरु दक्षिणा का महत्व नहीं जानते हैं परंतु गुरु दक्षिणा में जीवन के शब्दों को महत्व दिया जाता है आज के युग में गुरु दक्षिणा तो बहुत दूर की बात है हम आज अपने शिक्षक गुरु गुरु या हिंदी में मास्टर साहब भी कहते हैं गुरु दक्षिणा एक कहानी एक संदेश शिष्य और गुरु के बीच के संबंध को दर्शाती प्राचीन काल में एकलव्य एक छोटी जात का बालक होने के साथ धनुर्विद्या सीखाना चाहता था। परंतु धनुर्विद्या न सीखने की उपरांत भी एकलव्य उनसे कहा कि मैंने आपके बताए अनुसार दूर से आपके सभी शिष्यों को देखकर सीखी हैं। तब ऐसी सुनकर तब उन्होंने अपने शिष्यों के भविष्य के लिए एकलव्य से उसके दाएं हाथ का अंगूठा गुरु दक्षिणा में मांग लिया।
आज भी हम अगर एकलव्य और गुरु दक्षिणा को जोड़ें तब आज के समय में बहुत असंभव सा लगता है और हम सभी आज के युग में ऐसी गुरु दक्षिणा की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि एकलव्य ने तो छिप कर धनुर्विद्या सीखी थी परंतु जब एक प्रतियोगिता का समय आया तो एकलव्य की धनुर्विद्या से प्रसन्न होकर उन्होंने गुरु का नाम पूछा था तब एकलव्य ने कहा था कि मैं तो आप ही शिष्य हूं तब तब गुरु ने छल फरेब से तब एकलव्य से दाने हाथ का अंगूठा मांग लिया था। और एकलव्य ने भी गुरु दक्षिणा का पालन किया था आज यह कहानी हमें यह बताती है की गुरु दक्षिणा का कितना महत्व है परंतु साथ-साथ यह सीख भी देती है आज के युग में हम गुरु दक्षिणा का वचन देते समय जरुर सोचते हैं और आज के युग में हम अपने वचन से मुकर भी जाते है।
जब जब गुरु दक्षिणा का नाम लिया जाएगा तब तक एकलव्य का नाम भी लिया जाएगा क्योंकि गुरु दक्षिणा एक महान दक्षिणा होती है इस तरह के वचन आज के युग में बहुत असंभव है। इस कहानी के पत्र प्राचीन युग के सच और रहस्य को प्रेरित करते हैं। परन्तु ऐसी कहानी जिसमें गुरु दक्षिणा में जीवन का सब कुछ ले लेना यह तो एक गुरु दक्षिणा में गुरु को सच की ओर प्रेरित नहीं करता है आज के युग में एक असंभव और देने वाली दक्षिणा लगती है। क्योंकि हम प्राचीन इतिहास को पढ़कर ही आज के जीवन में नई खोज और योजनाएं बनाते हैं। जीवन में हम हमेशा इतिहास की ओर देखते हैं और उसे आज की युग की प्रेरणा लेते हैं तब ही हम आज जीवन में सच या झूठा कहे कि अब गुरु दक्षिणा का सच नहीं रहा है और कलयुग में तो गुरु और शिष्य की कल्पना भी एक अतिशयोक्ति है।
आज हम गुरु दक्षिणा के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं क्योंकि आज हम झूठ और फरेब के साथ जीवन जीते हैं आज के युग में हम गुरु दक्षिणा एक बहुत महत्वपूर्ण बात है क्योंकि एक दोहा है
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।
सच तो यही है कि आज गुरु और शिष्य में बहुत मतभेद अंतर है तभी तो हम सभी लोग आज इतिहास को दोहराते हैं या इतिहास पढ़ते हैं परंतु आज हम अपने वादों पर निर्भर नहीं रहते और अपने वचन और बातों से मुकर जाते हैं आज गुरु दक्षिणा का महत्व हम समझ ही नहीं पाते हैं क्योंकि जीवन एक बहुत महत्वपूर्ण बन चुका है भला ही हम कल और पल भर के विषय में ना जानते हैं परंतु हमारे इंसानी दिमाग में अहम और वहम के सात अहंकार बसा रहता है जोकि हमें सही मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित नहीं करता है जिससे हम मोह माया में फंसकर केवल अपने स्वार्थ के विषय में सोचते हैं और जीवन में एक दूसरे को गलत साबित करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं आओ चलो हम अपने विषय पर गुरु दक्षिणा की ओर चलते हैं। बस सच तो इतना है कि आज के युग में गुरु दक्षिणा एक सोच बनकर रह गई। अपना गुरु और ना एकलव्य मौजूद है केवल हमारी कल्पना और इतिहास मौजूद हैं और वह भी सच है या नहीं इसका भी कोई प्रामाणिक से सच नहीं है।
आज कलयुग में या आज के समय में हम अपने गुरु का सम्मान भी नहीं करते हैं क्योंकि हम सब आज कल आधुनिक कारण के साथ-साथ मान सम्मान की विधियां भी भूल चुके हैं। गुरु दक्षिणा कहानी में बहुत सी बातें उजागर नहीं है क्योंकि यह एक कल्पना और प्राचीन इतिहास की तुलनात्मक दृष्टिकोण को देखते हुए कल्पना के साथ हकीकत और सच को बताते हुए हम सभी को प्रेरित करती हैं की गुरु और शिष्य का संबंध सदैव और सदा एक सत्य और अच्छे मार्ग की ओर प्रशस्त हो।
गुरु दक्षिणा अपने में एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है आओ हम सभी अपने गुरुओं का मान सम्मान करें और जीवन को सफल बनाएं।