” आपको “
एहसासों में इस कदर बसाया है मैंने आपको ,
आप क्या हैं ? ये मैं जानती नहीं ।
बिना किसी स्वार्थ अपने प्यार भरे हृदय में ,
बसाया है मैंने आपको ।
✍️ ज्योति ✍️
एहसासों में इस कदर बसाया है मैंने आपको ,
आप क्या हैं ? ये मैं जानती नहीं ।
बिना किसी स्वार्थ अपने प्यार भरे हृदय में ,
बसाया है मैंने आपको ।
✍️ ज्योति ✍️