— आधे की हकदार पत्नी —
सुप्रीम कोर्ट कहे या कहे हाई कोर्ट, पति पत्नी के बीच अगर विश्वाश की कड़ी जबरदस्त है, तो किसी भी तरह के कानून की कोई आवश्यकता नहीं है, कानून कहेगा कि पति की संपत्ति में से पत्नी का आधा हक़ है, चाहे पति ने कितना भी कमाया हो, उस पर आधा हक़ पत्नी का रहेगा !
मैं कहता हूँ, पति और पत्नी एक मिसाल हैं, एक विश्वाश का धागा हैं, जो कभी टूटेगा नहीं, सात फेरे लेते वक्त किसी कानून की जब जरुरत नहीं पड़ी, तो आगे की जिंदगी में भी किसी तरह के कानून की जरुरत नहीं पड़नी चाहिए !
पत्नी का आधे का नहीं पूरे का हक़ है , अगर वो विश्वाश के साथ पति के साथ जीवन यापन करती है तो , चूंकि उस ने पति के लिए ही अपना सारा घर त्यागा है, परिवार को आगे बढ़ाने के लिए अपना जीवन बलिदान किया है, हर दुःख और सुख में पति का साथ देने के लिए रात दिन एक किया है, भूख प्यास की परवाह किये बिना कंधे के साथ कन्धा मिला कर साथ चलने का प्रण लिया है,तो ऐसे में भला संपत्ति पर आधे का हक़ बेमानी सा लगता है!
मैं तो यही कहूंगा, कि अपनी पत्नी के लिए , उस को हर काम में साथ देने के लिए हर पति को तैयार रहना चाहिए, अगर वो बीमार हो जाए तो कम से कम अपने हाथ से खाना बना कर खिला तो सको, उस को दवा आदि देने का ध्यान रखो, उस के मन में क्या है , उस की देखभाल करने का फ़र्ज़ भी तो पति का ही है, उस के मन की स्थिति को समझो, मैं सिर्फ पति हूँ, इस बात पर कभी गुमान न करो, वो ही सारे काम करेगी, ऐसी बातों को मन से निकाल कर उस का हर वक्त साथ दो, वो अपने घर से सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए आयी है, वो संपत्ति की भूखी नहीं है, वो आपके प्यार, आपके साथ, के लिए आपके साथ है !
अगर वो आपको पति परमेश्वर मानती है, आपके लिए, आपके बच्चों की परवरिश के लिए सदैव तत्पर रहती है, तो क्या पति का कोई कर्तव्य नहीं बनता कि वो भी अपनी पत्नी को देवी समझे, उस का आदर करे, न कि उस को पैर की जूती समझे , पति और पत्नी का बराबर का हक़ है, दोनों ही एक दूजे आएंगे, कोई पास पड़ोस का नहीं आएगा, कि आप ने कुछ खाया कि नहीं, आपके घर में क्या दिक्कत है, कैसी परिस्थिति से आप जूझ रहे है, जो भी कुछ करना है, वो पति और पत्नी ने ही करना है, वो अर्धांगिनी है, भगवान् शिव जी की तस्वीर में साफ़ साफ़ देखने को मिलता है,कि पति और पत्नी एक जिस्म में विराजमान हैं, दोनों एक दुसरे की बिना अपूर्ण हैं !
अक्सर ही देखने को मिलता है, पति अपने अभिमान की भाषा से पत्नी पर कुछ ज्यादा हक़ जमाते हैं, शराब पी कर घर आते है, शराब के नशे में गन्दी भाषा का इस्तेमाल कर के उस पर हाथ उठाते है, न जाने किस किस तरह के अत्याचार करते हैं, ठीक है आप मर्द हो इस का यह मतलब नहीं निकलता है, कि आप अपनी पहलवानी का नमूना अपनी पत्नी पर ही उठा कर प्रदर्शित करो !
इस लेख में मैं यह लिखने पर मजबूर हुआ, चूंकि बहुत से घरो में ऐसी दरिंदगी भरी बातें होती हैं, आपको किसी भी तरह के कानून की जरुरत न पड़े, इस बात का ध्यान रखते हुए आपस में प्यार से , आदर सम्मान से जीवन को गुजारो, कुछ भी गलत हुआ तो भुगतना परिवार को ही पड़ता है, समाज में बदनामी का दाग लगेगा , वो अलग , कानून की लड़ाईयां कभी खत्म नहीं होती हैं, इंसान खत्म हो जाते है, अगर यह सोचो की आपके लड़ाई झगडे को कोर्ट सुलझा देगी, वो तो खुद अवसर की तलाश में बैठे है, कि कब आप घर में लड़ो, एक दूजे को मारो, क़त्ल करो, और तारीख पर तारीख का भुगतान करने के लिए विवश हो जाओ. !!
नारी का सम्मान करोगे, तभी बनेगा हर घर महान
क्या संपत्ति, क्या धन, क्या कानून , सब कुछ बेमान !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ