आधुनिक घर की कहानी अजीब दौर है,इंसा दूर है, तकनीक पास है।।
आधुनिक घर की कहानी अजीब दौर है,इंसा दूर है, तकनीक पास है।।
ख्याल अब जाहिर नहीं होते दिल से,मीम शेयर कर, ख्याल
बताए जाते हैं।।
बातें होती नहीं, बस स्क्रीन पर,हर कोने में मोबाइल हाथ में लिए बैठे हैं।।
वो बुजुर्गों की कहानियाँ भी अब खो गई,बच्चों के यूट्यूब ने सारी आदतें बदल दीं।।
सुबह-शाम का भगवान का नाम लेना,अब स्पीकर के शोर में गुम हो गया है।।
बच्चे कहते हैं मां-बाप से, वक्त नहीं है,मां-बाप इंतजार में, वो वक्त कब निकलेगा?
क्या अजीब दौर है, ये घर-घर की कहानी,परिवार नहीं, अब हर कोई अपनी दुनिया में।।
चार दीवारों के अंदर जीते हैं सब,घर नुमा ढांचे में, सबने अलग-अलग जिंदगी बना ली है।।