#आधार छंद : रजनी छंद
#आधार छंद : रजनी छंद
#मापनी : 2122 2122 2122 2
गीत
हर हृदय कोई बसा है , जो हमारा है ।
है स्वजन , वह मीत या प्रभु , प्राण प्यारा है ।।
हर खुशी दम पर उसी के , प्रेरणा मिलती ।
रात दिन सब हैं गमकते , याद है पलती ।
जब कठिन आई घड़ी तो , वह सहारा है ।।
है स्वजन , वह मीत या प्रभु , प्राण प्यारा है ।।
बंद नैनों में किया है , यों छिपाया है ।
स्मृति पटल पर छवि अनूठी , खूब भाया है ।
मन उदधि जब ले हिलोरें , दे किनारा है ।।
है स्वजन , वह मीत या प्रभु , प्राण प्यारा है ।।
जो मिला स्वीकार हमको , मौन है खुशियाँ ।
भेद चाहे जानना हैं , पूछती सखियाँ ।
ज़िंदगी कलकल करे पल , पल निखारा है ।।
है स्वजन , वह मीत या प्रभु , प्राण प्यारा है ।।
याद मनहर है मधुर पर , चोंट दे गहरी ।
धौल देती पीठ जब भी , यह नहीं ठहरी ।
भागती है दूर हमसे , कर किनारा है ।।
है स्वजन , वह मीत या प्रभु , प्राण प्यारा है ।।
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्य प्रदेश )