Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2023 · 1 min read

आदिवासी कभी छल नहीं करते

आदिवासी होकर जीना सरल नहीं है
=-=-=-=-=-=-=-=-=-=-=-=-=-=-
आदिवासी होना
खूबसूरत है लेकिन
आदिवासी होकर जीना
सरल नहीं है….
खूबसूरत इसलिए क्योंकि
आदिवासी छल नहीं करते
दूसरों की भर्त्सना में
व्यर्थ एक पल नहीं करते
उन्हें प्रेम है
फूल से, पेड़ से, पत्तियों से
उन्हें लगाव है
अपनी सुदूर एकाकी बस्तियों से
उनके नृत्य में
सम्मोहक लय ताल है
रोटी और चटनी में
स्वाद वाकई कमाल है
चाहे जिसका देख लो
बैंक बेलेन्स जीरो मिलेगा
चटकीला कमीज, काला चश्मा
हर युवक हीरो मिलेगा
और समाजों में हो न हो
मगर यहाँ नारी सम्मान है
मैंने खुद देखा
इन्हें बेटियों पर अभिमान है
भूखे पेट और नंगे पैर
मीलों पैदल चल सकते हैं
आजमा लेना आपके लिए
दीपक बनकर जल सकते हैं…
आदिवासी होकर जीना
कठिन है बहुत क्योंकि
बारिश में झोपड़ी जलमग्न हो जाती है
और अगर जल न बरसे तो
जीवन की हर उम्मीद भग्न हो जाती है
रेंगते हुये पहुँच रही है शिक्षा
अब तो कुएं भी दम तोड़ गए हैं
रोजी रोटी की जद्दो-जहद में
जाने कितने अपने गाँव छोड़ गए हैं
कल के बंदोबस्त का कौन कहे
आज का भी कुछ पक्का नहीं है
कभी घर में दाल नहीं तो
कभी मुट्ठी भर भी मक्का नहीं है
दिक्कतें इतनी हैं कि
सोचकर भी आँखें भर आती हैं
इनका संघर्ष देखते हुये
दिल की धड़कनें ठहर जाती हैं …..
:राकेश देवडे़ बिरसावादी सामाजिक कार्यकर्ता

317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हल
हल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
डॉ० रोहित कौशिक
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
Shivam Sharma
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
अपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है,
goutam shaw
समाज का डर
समाज का डर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
दो अनजाने मिलते हैं, संग-संग मिलकर चलते हैं
दो अनजाने मिलते हैं, संग-संग मिलकर चलते हैं
Rituraj shivem verma
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
गर्भपात
गर्भपात
Bodhisatva kastooriya
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
उधड़ता दिखते ही तुरंत सिलवा लीजिए। फिर चाहे वो जूता हो, कपड़ा
उधड़ता दिखते ही तुरंत सिलवा लीजिए। फिर चाहे वो जूता हो, कपड़ा
*प्रणय*
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
Buddha Prakash
हम कहां थे कहां चले आए।
हम कहां थे कहां चले आए।
जय लगन कुमार हैप्पी
तुमको एहसास क्यों नहीं होता ,
तुमको एहसास क्यों नहीं होता ,
Dr fauzia Naseem shad
ਕਿਸਾਨੀ ਸੰਘਰਸ਼
ਕਿਸਾਨੀ ਸੰਘਰਸ਼
Surinder blackpen
नसीब नसीब की बात होती है कोई नफरत देकर भी प्यार पाता है कोई
नसीब नसीब की बात होती है कोई नफरत देकर भी प्यार पाता है कोई
Ranjeet kumar patre
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
shabina. Naaz
तेरा साथ है कितना प्यारा
तेरा साथ है कितना प्यारा
Mamta Rani
बुंदेली दोहे- छरक
बुंदेली दोहे- छरक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"अपेक्षाएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
बेटी की शादी
बेटी की शादी
विजय कुमार अग्रवाल
4640.*पूर्णिका*
4640.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उमंग जगाना होगा
उमंग जगाना होगा
Pratibha Pandey
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
आनंद प्रवीण
*वो है खफ़ा  मेरी किसी बात पर*
*वो है खफ़ा मेरी किसी बात पर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
घर नही है गांव में
घर नही है गांव में
Priya Maithil
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
VINOD CHAUHAN
........,
........,
शेखर सिंह
कशिश
कशिश
Shyam Sundar Subramanian
മോഹം
മോഹം
Heera S
Loading...