आदाब अर्ज़ है
दरिया ए अश्क़ काफी हैं बहने के लिए –
दास्तां ए इश्क काफी हैं कहने के लिए ।
यूं भी हर बात किसी से कही नहीं जाती –
दफ़न कर देते हैं सीने में
सहने के लिए ।।
दरिया ए अश्क़ काफी हैं बहने के लिए –
दास्तां ए इश्क काफी हैं कहने के लिए ।
यूं भी हर बात किसी से कही नहीं जाती –
दफ़न कर देते हैं सीने में
सहने के लिए ।।