आदमी
महज़ इस्तेमाल होता है आदमी ।
फक़त ख़्याल खोता है आदमी।
चलकर सँग जमीन पे अपनो के,
हसरते आसमां पे सोता है आदमी ।
…….विवेक दुबे”निश्चल”@…
महज़ इस्तेमाल होता है आदमी ।
फक़त ख़्याल खोता है आदमी।
चलकर सँग जमीन पे अपनो के,
हसरते आसमां पे सोता है आदमी ।
…….विवेक दुबे”निश्चल”@…