आदमी
जन्म से आयु का यौवन सदा ही ढ़लता जाता है ।
सोख कर भावनाओं को मगर वो चलता जाता है।
हाड़-मांस का तन निचुड़ा हुआ खाली हो जाता है-
हाय मगर यह आदमी खुद को ही छलता जाता है ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
जन्म से आयु का यौवन सदा ही ढ़लता जाता है ।
सोख कर भावनाओं को मगर वो चलता जाता है।
हाड़-मांस का तन निचुड़ा हुआ खाली हो जाता है-
हाय मगर यह आदमी खुद को ही छलता जाता है ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली