आदमी बेहद खौफजदा,अपने ही घर में ,क्या हुआ ?
आदमी बेहद खौफजदा,अपने ही घर में ,क्या हुआ ?
पता चला है ,लंबी साजिशों के बादल घूम रहे हैं ,
सुबह शाम उसकी ही छत के ऊपर ,
कुछ ऐसा बरसाने में , इधर सबसे खास ,जो है आसपास
कोई सुपारी दे रहे,कोई मस्त हैं , चूना लगाने में ।
परिंदे भी सहमे हुए डरे हुए मन नहीं लग रहा दाना खाने में , बहेलियों के जाल और फैलती आभासी दुनिया
लगे हुए है सबको फसाने में
संवेदनहीनता ,स्वार्थ ,छल ,कपट ,
हो रहे है सफल ,बारात लाने में ,
जैसे भी हो सत्ता सुंदरी को ,दुल्हन बनाने में ,
समघिन सियासत को भरमाने में ,
राज ससुर जी को ,समझाने में
लगे हैं जाने कब से