आदमी का वजन
आदमी का वजन
आदमी का वजन कम हो चले, पर जेब का वजन बढ़ता जाए,
शरीर चाहे झुक जाए, पर सम्मान वहीं से लौटकर आए।
चार दीवारों के भीतर भी काम का मोल है,बाहर की दुनिया में दाम ही पहचान का खोल है।।
रिश्ते हों या जमाना, हर कोई देखे जेब का हाल,आदमी की मेहनत और कमाई से, जुड़ा है उसका ख़ास सवाल।घर के भीतर उसकी बात जब तब सुनी जाए,पर जेब में जो वजन हो, तो बात में दम बढ़ जाए।।
शरीर चाहे थक जाए, पर जेब नहीं रुकनी चाहिए,आदमी का हौंसला तो उसकी कमाई से ही झलकना चाहिए।दुनिया की नज़र में उसकी पहचान दाम से जुड़े,उसका हर कदम, उसका हर काम उसे मंजिल तक धकेले।।
घर की चार दीवारी में भी, इज़्ज़त से जीता है,पर जेब की महत्ता से ही, बाहर नाम कमाता है।बातों का वज़न हो, तो सुनने वाले झुक जाएं,काम का फल मिले, तो दुनिया कदमों में बिछ जाए।।
शरीर चाहे बीमार हो, दिल चाहे हारा हो,पर जेब में दम हो, तो हर रास्ता प्यारा हो।आदमी का वजन तो अब जेब से ही आंका जाएगा,वहीं से उसका सम्मान और पहचान चमकेगा।।
काम और दाम का ये रिश्ता, अनमोल धरोहर है,आदमी का हौंसला, उसकी जेब का सोना और चांदी का ज़ेवर है।शरीर चाहे जैसा भी हो, उसे संभाला जा सकता है,पर आदमी की जेब का वजन ही उसकी असली कहानी कहता है।।
तो मेहनत से ही आदमी का वजूद है,दुनिया में उसकी पहचान
और सम्मान का सबूत है।आदमी का शरीर चाहे हल्का हो जाए,
पर जेब का वजन ही उसे सम्मान दिलाए।।