आदमी और पंछी
गर्मी पक्षी ,दाना पानी जेठ आदि याद आ गए ,तभी एक पुरानी रचना समर्पित अपने फे स बुक के मित्रो को ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कभी सोचा है ..क्यों नहीं आते पक्षी
और परिंदे चुनने दाना
और उनके लिए अलग अलग पात्रो में रखा पानी
यूहीं उड़ जाता है जेठ की दो पहरी में वाष्प बनकर
उन्हें अपनी मौत मरना पसंद है
बजाय आदमी के छल फरेब से मारने के…………………………………………,,,