आत्म अवलोकन कविता
आत्म अवलोकन कविता
मन की गहराइयों में घुस कर देखो,
अपनी आत्मा को खोजो।
ज्ञान की ऊंचाइयों पर चढ़ कर देखो,
अपनी आत्मा को छोड़ो।
बाहर की दुनिया खींचे चल रही है,
समय की धारा में बह रही है।
पर अपनी आत्मा का ख्याल कैसे करें,
यह सब कुछ जानने का विचार रखें।
शांति और सुख की पुकार है यह,
मन को समझाने की ईकार है यह।
ज़िन्दगी के शोर-शराबे के बीच,
खुद को खोजने का इन्हीं विचार है।
तन की चिंताएं और मन के सवाल,
रातों की आवाज़ और दिन की ओर।
सब कुछ तो जगमगाता है यहां,
पर अपनी आत्मा को छुपाता है शोर।
ताल-मेल से भरी इस भीड़ में,
अपनी अद्भुतता खो ना देना।
खुद को पहचान लो, खुदा में पाओ,
आत्मा की दिव्यता से जुड़ जाओ।
जागो और अपनी आत्मा में समयोग करो,
खुद का विचार करो और पहचानो।
चिन्मय तत्व को अपने में खो लो,
आत्मा में सुखी और शांत बन जाओ।
कार्तिक नितिन शर्मा