आत्मा
न जाने कौन से ब्रह्मांड में हम लोग जाते हैं।
न जाने कौन से परिवार मे जाकर समाते हैं।।
किसी भी योनि में जन्में, अमर है आत्म सत्ता तो।
तभी तो पितृपक्षों में सहज श्रद्धा जताते हैं ।।
-जगदीश शर्मा सहज
न जाने कौन से ब्रह्मांड में हम लोग जाते हैं।
न जाने कौन से परिवार मे जाकर समाते हैं।।
किसी भी योनि में जन्में, अमर है आत्म सत्ता तो।
तभी तो पितृपक्षों में सहज श्रद्धा जताते हैं ।।
-जगदीश शर्मा सहज