*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
आत्मा की वास्तविक स्थिति
चेतन बुद्धि ,इंद्रियां और शरीर से पार्थक्य अवश्य है। आत्मा नामक कोई पदार्थ निश्चय ही विद्यमान है; परंतु उसकी सत्ता में किसी हेतु की उपलब्धि बहुत ही कठिन है।
सत्पुरुष बुद्धि इंद्री और शरीर को आत्मा नहीं मानते; क्योंकि स्मृति (बुद्धि का ज्ञान) अनियत है तथा उसे संपूर्ण शरीर का एक साथ अनुभव नहीं होता। इसलिए वेदो और वेदांतों में आत्मा को पूर्वानुभूत विषयों का स्मरण कर्ता,सम्पूर्ण गेय पदार्थों में व्यापक तथा अंतर्यामी कहा जाता है। यह ना स्त्री है, न पुरुष है और न नपुंसक ही है। न ऊपर है , न अगल बगल में है , न नीचे है और न किसी विशेष स्थान – विशेष में। यह संपूर्ण शरीरों में अविचल ,निराकार एव अविनाशी रूप में स्थित है।ज्ञानी पुरुष निरंतर विचार करने से उस आत्म तत्व का साक्षात्कार कर पाते हैं।
वायवीय संहिता
शिव पुराण
*परात्पर परमब्रह्म परमेश्वर के शिव
कल्याणकारी स्वरूप🙏🏼🔱🔔🔱🔔🔱🔔🔱🔔🔱🔔
Shri shivay Namstubhayam 🌹