आत्मा की गूंज
आत्मा की गूंज
आतमा की गूंज में सुगंध की बयार है।
निर्विकार भव्य शुद्ध पावनी बहार है।
आत्म ज्ञान प्रेम रत्न देव धर्म दिव्य है।
ब्रह्म रूप सत्व सत्य नित्य स्तुत्य भव्य है।
गूँजती अखंडता अनंतता विशाल है।
बूंद अमृता समुद्र शांत नित्य चाल है।
रंग रूप रश्मि राग राशि राम राज है।
आत्म गूंज अर्थपूर्ण विश्व का स्वराज है।
नव्यता नवीनता महानता अनन्य है।
गूंज में पवित्रता मनुष्यता प्रणम्य है।
धर्म युद्ध कर्म क्षेत्र जिंदगी मिली हुई।
योग लोक हेतु हो स्वभावना खिली हुई।
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।