बैसाखी….
अन्न के दाने उत्सुक हैं
हर घर में आने को
चाहे जितना धनवान हो व्यक्ति
या घर ना हो खाने को ।
किसान जब खेतों मे अपने
दिन रात मेहनत करता है
तब जाकर अन्न का दाना
हर पेट में पहुंचा करता है ।
बैसाखी का उत्सव है आया
झूम-झूम सब नाचें गायें
देश प्रगति पर बढ निशदिन आगे
हम आपस मे ना लडें,लड़ायें।