आत्महत्या का कारण अंग्रेजी
राजवीर शर्मा के पोस्ट आत्महत्या का कारण अंग्रेजी दिनांक 13 जुलाई 2020 पर प्रस्तुत प्रतिक्रिया :
यह एक दुखद घटना है कि किसी विषय में कम नंबर आने पर आत्महत्या का प्रयास किया जाए।
इसके लिए हमें गंभीर चिंतन करना पड़ेगा और इस प्रकार घटना की पुनरावृत्ति ना हो उसके लिए प्रयास करने पड़ेंगे। इन सब के लिए हमारी शिक्षण प्रणाली दोषी है गांवों एवं एवं सुदूर क्षेत्रों के विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी है। और जो भी शिक्षक है वे विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने में कृत संकल्प नहीं है। उनके लिए शिक्षण मात्र एक नौकरी का निर्वाह है। शासकीय विद्यालयों में अध्यापकों की कमी है एक ही अध्यापक को कई विषय पढ़ाने के लिए बाध्य किया जाता है। इसके अलावा उनकी सेवाएं पंचायत, स्वास्थय ,एवं विकास के अन्य कार्यों में ली जाती है। राजनीतिक चुनावों एवं पंचायत चुनावों में उनकी सेवाएं ली जाती है। जिसके फलस्वरूप शिक्षण सेवाएं उपेक्षित हो जाती है।
जिसका सीधा प्रभाव विद्यार्थियों की शिक्षा पर पड़ता है। इन सबके लिए हमारा शासन तंत्र दोषी है जो शिक्षा को गंभीरता से नहीं ले रहा है और हमारा शिक्षक वर्ग एक उपेक्षित वर्ग होकर रह गया है।
वास्तविकता तो यह है कि हमारे गांव के शिक्षकों को वेतन भी समय पर नहीं मिलता है और कई कई महीने उनको बिना वेतन गांव वालों की कृपा दृष्टि पर गुजारा करना पड़ता है। यह गांव के शिक्षकों की एक दयनीय स्थिति है। शासन को इस पर गंभीरता से विचार कर कदम उठाने चाहिए और शिक्षण व्यवस्था को दुरुस्त करने की आवश्यकता है।
गांव में हर विषय में पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक है। शासन को शिक्षक से शिक्षण के अलावा अन्य कार्यों मे उनकी सेवाएं लेना बंद करना होगा , जिससे शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित ना हो सके। शिक्षा विभाग को भी समय-समय पर निरीक्षण करके शिक्षा के स्तर का आकलन करना आवश्यक है , और जो भी कमियां पाई जाएं उनका तुरंत निराकरण आवश्यक है।
अंततः मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि किसी भाषा विशेष को पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर दोषी ठहराना उचित नहीं है। व्यवहारिक जीवन में उन्नति के लिए अंग्रेजी का शिक्षण भी अनिवार्य है। किसी भाषा को सीखने से उसके प्रति दासता का प्रतीक नहीं है हमें इस मनोवृत्ति से ऊपर उठकर चिंतन करना होगा।
हमें सकारात्मक सोच से आगे बढ़कर देश के उज्जवल भविष्य की कामना करनी होगी।
धन्यवाद !