आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
आत्मशुद्धि या आत्मशक्ति
याद है वो रिक्तियाँ
जिसे भरा करती थी दादियाँ
विरासत में परदादियाँ
कंठस्थ सारी विभक्तियाँ
प्राण लिये सिद्धियाँ
लब पे सारे भुगोल
इतिहास और स्थितियाँ
अनुभव जैसे पुर्ण था अक्षरों के गर्भ का
अनपढ़ों के कोष में ज्ञान शाश्वत पुंज था
“ज्ञान”
©️ दामिनी नारायण सिंह