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8 Mar 2021 · 2 min read

आत्ममंथन

मैं आत्मा के कल्याण के लिए यह पुस्तक लिख रहा हूं। आप किसी भी प्रकार की भूल मत करना इसे पढ़ने में। आप इसे पढ़कर समृद्ध बन जायेंगे। लेकिन कब? इसका आपने सही अनुसरण कर लिया तो वाकई में एक ही वस्तु से आप हर तरह से समृद्ध बनेंगे। अब मैं आपको अपनी कर्मभूमि में ले कर चलता हूं कि आपकी कर्मभूमि क्या है ? आपको अपनी कर्मभूमि के बारे में जानना होगा। यानी कि आप जहां पर काम कर रहे हैं, वह जगह कैसी है? आप के मन माफिक है या नहीं? अगर मन माफिक नही है तो मन माफिक बनाना होगा। फिर आप लगन से अपना काम शुरू करें।जब आप नई जगह नया काम करना शुरू करते हैं तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। आप उन मुश्किलों से घबराये नहीं।सब समय आने पर ठीक हो जाएगा।यह भावना आपकी होना चाहिए। आप अपने आप को पहचानें और कदम आगे बढ़ाये। निश्चित ही मंजिल मिल जाएगी।आप इस जीवन की वास्तविकता को जाने।कि मैं इस दुनिया में क्यों आया हूं। मेरा जन्म किस लिए हुआ है।और इस जिंदगी को किस तरह से जीना चाहिए।इन तमाम प्रश्नों का जवाब मैं आपको देता हूं। मनुष्य जन्म से महान नहीं बनता, महानता उसके कर्म में छिपी होती है। अगर हम महान नहीं बन सकते हैं तो जिंदगी का कुछ हिस्सा अच्छे कामों में लगाएं। जिससे हमारी आत्मा को शांति मिल सके। मनुष्य का जन्म किसी को दुख देने के लिए नहीं होता है।वह दूसरों को सुख दे, इसलिए ही उस महाशक्ति ने तेरे को मनुष्य का जन्म दिया है।कि तू जाकर अच्छे काम कर और मनुष्यों के बीच में रहकर सृष्टि का संरक्षण कर।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 600 Views
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