Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2021 · 2 min read

आत्ममंथन

मैं आत्मा के कल्याण के लिए यह पुस्तक लिख रहा हूं। आप किसी भी प्रकार की भूल मत करना इसे पढ़ने में। आप इसे पढ़कर समृद्ध बन जायेंगे। लेकिन कब? इसका आपने सही अनुसरण कर लिया तो वाकई में एक ही वस्तु से आप हर तरह से समृद्ध बनेंगे। अब मैं आपको अपनी कर्मभूमि में ले कर चलता हूं कि आपकी कर्मभूमि क्या है ? आपको अपनी कर्मभूमि के बारे में जानना होगा। यानी कि आप जहां पर काम कर रहे हैं, वह जगह कैसी है? आप के मन माफिक है या नहीं? अगर मन माफिक नही है तो मन माफिक बनाना होगा। फिर आप लगन से अपना काम शुरू करें।जब आप नई जगह नया काम करना शुरू करते हैं तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। आप उन मुश्किलों से घबराये नहीं।सब समय आने पर ठीक हो जाएगा।यह भावना आपकी होना चाहिए। आप अपने आप को पहचानें और कदम आगे बढ़ाये। निश्चित ही मंजिल मिल जाएगी।आप इस जीवन की वास्तविकता को जाने।कि मैं इस दुनिया में क्यों आया हूं। मेरा जन्म किस लिए हुआ है।और इस जिंदगी को किस तरह से जीना चाहिए।इन तमाम प्रश्नों का जवाब मैं आपको देता हूं। मनुष्य जन्म से महान नहीं बनता, महानता उसके कर्म में छिपी होती है। अगर हम महान नहीं बन सकते हैं तो जिंदगी का कुछ हिस्सा अच्छे कामों में लगाएं। जिससे हमारी आत्मा को शांति मिल सके। मनुष्य का जन्म किसी को दुख देने के लिए नहीं होता है।वह दूसरों को सुख दे, इसलिए ही उस महाशक्ति ने तेरे को मनुष्य का जन्म दिया है।कि तू जाकर अच्छे काम कर और मनुष्यों के बीच में रहकर सृष्टि का संरक्षण कर।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 513 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कैसे भूलूँ
कैसे भूलूँ
Dipak Kumar "Girja"
तेरी
तेरी
Naushaba Suriya
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
पूर्वार्थ
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
Neelam Sharma
रेत सी जिंदगी लगती है मुझे
रेत सी जिंदगी लगती है मुझे
Harminder Kaur
शोहरत
शोहरत
Neeraj Agarwal
भेंट
भेंट
Harish Chandra Pande
#मिसाल-
#मिसाल-
*प्रणय प्रभात*
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
जाने किस मोड़ पे आकर मै रुक जाती हूं।
Phool gufran
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आग़ाज़
आग़ाज़
Shyam Sundar Subramanian
23/90.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/90.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वक़्त के वो निशाँ है
वक़्त के वो निशाँ है
Atul "Krishn"
अखंड भारत
अखंड भारत
कार्तिक नितिन शर्मा
प्रियवर
प्रियवर
लक्ष्मी सिंह
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
Ravi Prakash
*प्यार तो होगा*
*प्यार तो होगा*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मांओं को
मांओं को
Shweta Soni
"परोपकार"
Dr. Kishan tandon kranti
शीत .....
शीत .....
sushil sarna
(19) तुझे समझ लूँ राजहंस यदि----
(19) तुझे समझ लूँ राजहंस यदि----
Kishore Nigam
मेरी कविता
मेरी कविता
Raju Gajbhiye
लोग तो मुझे अच्छे दिनों का राजा कहते हैं,
लोग तो मुझे अच्छे दिनों का राजा कहते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
Dr MusafiR BaithA
? ,,,,,,,,?
? ,,,,,,,,?
शेखर सिंह
निर्मल भक्ति
निर्मल भक्ति
Dr. Upasana Pandey
कहां गए बचपन के वो दिन
कहां गए बचपन के वो दिन
Yogendra Chaturwedi
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
Loading...