“ आत्ममंथन; मिथिला,मैथिली आ मैथिल “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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हम मैथिली कविता लिखइत छी ,साहित्य लिखइत छी ! परिचर्चा ,समालोचना ,लेख आ टीका – टिप्पणी सहो करैत छी ! हमर मैथिली काव्य संग्रह ,खंड काव्य ,उपन्यास ,लघु कथा मैथिली साहित्यक अमूल्य निधि बनि गेल अछि ! राज्यकीय ,देशीय आ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमरा अनेकों अनेक पुरस्कार भेटल ! सब ठाम हमर सत्कार होइत अछि ! हम श्रेष्ठ भेलहुं हमरे सब मैथिल संगठन मुख्य अतिथि बनबैत छथि ! ओना मैथिली क विकास हेतु अनगिनत संगठन ,समिति आ ग्रुप बनि गेल अछि ! ओना हमरा की ? सबठाम सं नौत -हाकर आयल ! समय पर संगठन ,समिति आ ग्रुप वला चारि चक्का पठा दैत छथि ! हमहूँ मिथिला परिधान सं सुसज्जित भय चलि जाइत छी ! सब हमरा साष्टांग दंडवत करैत छथि ! कियो हमर धोती ,कियो हमर कुर्ता आ कियो हमर पाग क प्रशंसा करैत छथि ! मिथिला ,मैथिल आ मैथिली क विकासक रूपरेखा पर जोर दैत छी ! फोटो ,वीडियो ग्राफी आ समाचार पत्र खूब चर्चा होइत अछि ! राजधानी मे रहित छी ! जतय जाऊ हमरे चर्चा ! गाम आ मिथिला परिवेश सं दूर रहि हमर पुत्र ,पुत्रवधू ,पौत्र आ पौत्री मैथिली नहि बजइत छथि ! हुनका संगे हमहूँ हिन्दी बजइत छी ! मुदा कियो पूछताह कि बच्चा सब मैथिली बजइत छथि ? हाँ .. हाँ कियाक नहि ? एहन गप्प नहि जे अंतरात्मा क ध्वनि हम नहि सुनि सकैत ! जाहि भाषा क साधना सं नई दिल्ली मे अप्पन बँगलो लेलहुं ,अप्पन पुत्र केँ पदाधिकारी बनेलहुं ,पौत्र ,पौत्री आ पुत्र वधू आधुनिक बनि गेलीह परंतु मैथिली सं सब दूर होइत गेलाह ! इ मात्र शहर मे नहि गामों धरि कोरोना पसरि गेल अछि ! भाषा ,लिपि ,संस्कृति सं जे विमुख भ जायब त हम सब दिग्भ्रमित भ जायब !
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड