आत्मकथा कविता की
कभी शब्द कभी भावनाएँ
बना देता है रचनाकार।
अचानक एक शब्द आता है
और लिपट जाता है।
कभी पास से गुजर रहे शब्द को
पकड़ लेता है मन।
शब्द झकझोर देता है अंतर्मन और अंत:करण।
भावनाएँ वैसे ही।
अनुभूति हैं भावनाएँ।
अभिव्यक्ति हैं कविताएँ।
कविता लिखना सहज है,कवि होना नहीं।
अक्षरों से शब्द, शब्द से भाव बोना ही।
इसके लिए कवि होना पड़ता है।
अपने को विचारों में खोना पड़ता है।
हम जो कहते हैं लोगों के भूसे भरे दिमाग में
उंडेलना पड़ता है।
कविताएं स्पंदन हुआ करती है,तरंगों सी बहती।
आंतरिक संवेदना हुआ करती हैं,दु:ख,सुख गहती।
कविताएं वर्तमान के हस्ताक्षर हैं,
अतीत का वर्णन चाहे हो।
कवि को पश्चाताप से पहचान मिला है
अतीत की आलोचना चाहे हो।
तिरस्कृत कवि पुलकित हो तो
लेती है जन्म कवितायें।
पुरस्कृत कवि अचंभित हो तो
प्राप्त होती है मृत्यु को कविताएं।
अतीत की घृणा और प्रेम को सहेजती हैं कवितायें।
भविष्य के रास्ते उकेरती है कवितायें।
विवश होती है कवितायें प्रार्थना करती हुई।
परवश होती है तलवार थामी हुई।
कविता उच्च दर्जे का व्यंग्य है,निम्न दर्जे की प्रशंसा।
हमारे इतिहास की कवितायें भविष्य की करें अनुशंसा।
सम्बन्धों की परवरिश करना सिखाएँ कविता।
संदेश दें समता की समग्रता की चाहे उन्नीस हो कविता।
कविता ईश्वर तो नहीं पर,ईश्वरीय हैं अवश्य।
कविता मानव हो न हो पर,मानवीय हों अवश्य।
कविता जंगल नहीं है,बेतरतीब उगे हुए।
कविता बाग नहीं हो,कटे,छंटे हुए।
व्याकुल और युग बोध से प्रेरित कवितायें कालजयी हों!
शंकालु भी गहन विवेकी,तर्क सिद्ध हों और विजयी हों।
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27/5/22