आतिश पसन्द लोग
अपने लिए कोई न कोई ख़ैरख़्वाह रखते हैं
आतिश पसन्द लोग भी बारिश की चाह रखते हैं
लेकर वचन किसी से न मांगे किसी की प्राण कभी
हंसते हुए दधीच भी धड़कन में आह रखते हैं
ठहरे हुए हैं जो उन्हें गतिरोध मत समझ लेना
ठहरे हुए पहाड़ नदी में प्रवाह रखते हैं
बनते बड़े वकील वही लोग अब अदालत में
जो लोग अपनी जेब में झूठे गवाह रखते हैं
यूं तो उन्हें अलग हुए बरसों गए हैं बीत मगर
अब भी वह एक दूजे पे अपनी निगाह रखते हैं