*आतिशबाजी का कचरा (बाल कविता)*
आतिशबाजी का कचरा (बाल कविता)
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बीच सड़क पर जग्गू दादा ने
अनार दस छोडे़
छह फुलझडियाँ और साथ में
बीस पटाखे फोड़े
आतिशबाजी का कचरा सब
लगे छोड़ के जाने,
बच्चे मिलकर आए
लेकर झाड़ू उन्हें थमाने
बोले दादागिरी तुम्हारी
दादा नहीं चलेगी,
इस मसले पर दाल तुम्हारी
दादा नहीं गलेगी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9997615451