आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
नहीं भुलाए भूलता, दुर्वह वक्त व्यतीत।।
दुर्वह वक्त व्यतीत, काम आए जब अपने।
नहीं धूसरित हुए, सलोने सुखप्रद सपने।।
समय पड़े पर साथ, निभाता सच्चा नाता।
स्वार्थी लोलुप कभी, वक्त पर काम न आता।।
© महेश चन्द्र त्रिपाठी