■ निकला नतीजा। फिर न कोई चाचा, न कोई भतीजा।
प्रेम का सौदा कभी सहानुभूति से मत करिए ....
मोहब्बत की आख़िरी हद, न कोई जान पाया,
नहीं भुला पाएंगे मां तुमको, जब तक तन में प्राण
उफ़ ये कैसा असर दिल पे सरकार का
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
कहने को तो इस जहां में अपने सब हैं ,
ग़ज़ल(इश्क में घुल गयी वो ,डली ज़िन्दगी --)
Dictatorship in guise of Democracy ?
आदमी बेकार होता जा रहा है
तेरे लिखे में आग लगे / MUSAFIR BAITHA
"महफिल में रौनक की कमी सी है"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
धीरे धीरे निकल रहे हो तुम दिल से.....
प्रेम भाव रक्षित रखो,कोई भी हो तव धर्म।
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,