“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
खुशकिस्मत है कि तू उस परमात्मा की कृति है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*सूझबूझ के धनी : हमारे बाबा जी लाला भिकारी लाल सर्राफ* (संस्मरण)
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दगा और बफा़
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,
बात बात में लड़ने लगे हैं _खून गर्म क्यों इतना है ।
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
बना दिया हमको ऐसा, जिंदगी की राहों ने
"खुद का उद्धार करने से पहले सामाजिक उद्धार की कल्पना करना नि
■ संवेदनशील मन अतीत को कभी विस्मृत नहीं करता। उसमें और व्याव
International plastic bag free day
धर्म ज्योतिष वास्तु अंतराष्ट्रीय सम्मेलन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर