आज
शेष नहीं अब आज समर्पण,
होता है कुछ शर्तों पर गठबंधन ।
रिश्ते नाते सूखे तिनकों से ,
एक चिंगारी से जलता घर आँगन ।
..
आओ मिलकर आज गीत बनाएँ ।
शब्दों से कुछ संगीत सजाएँ ।
हो जाए थोड़ी सी हाँ या न ,
अहसासों को आभास बनाएँ ।
…. विवेक दुबे “विवेक”©रायसेन …..