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14 Sep 2022 · 1 min read

आज हिंदी रो रही है!

आज हिंदी रो रही है!
आज हिंदी रो रही है!
सिसक, सिसक दम तोड़ रही है।
आज हिंदी रो रही है!

सोचो कैसा लगता है जब
अपने करे अपनो पर प्रहार।
अपनों से ही प्रताड़ित होकर
आज हिंदी हो गई है लचार।

जिसने दिलाई दुनिया भर में
हमें एक नई पहचान है।
जिसने दिलाई दुनियाभर में
देश को सम्मान है।

जिसके नाम से देश का
नाम पड़ा हिन्दुस्तान है।
आज वही हिंदी क्यों,
अपने देश में गुमनाम है।

क्यों अपने देश में ही वह
ढूँढ रही अपनी पहचान है।
क्यो अपनी सम्मान के लिए
वह हर रोज संघर्ष कर रही है।

सिंकूची सिमटी तारीखों पर
आज हिंदी हमसे पूँछ रही है।
यह मेरा सम्मान कर रहे हो,
या कर रहे हो मेरा अपमान।

पूँछ रही हमसे आज हिंदी
क्यों तारीखों की बेड़ियो में
तुम मुझे बाँध दिये हो।
क्यों हिंदी दिवस के रूप में सिर्फ,
तुम मुझे पहचान दिये हो।

कहने के लिए में मातृभाषा हूँ।
कहने लिए में राष्ट्रभाषा हूँ।
पर पराये भाषा के कारण,
हर जगह मुझे दूजा स्थान दिये हो।

अपने देश मे ही में पराये भाषा के कारण,
अपना आस्तित्व खो रही हूँ।
पल-पल जीने की एहसास में
तील तील मरती जा रही हूँ।

कह रही है हमसे आज हिंदी,
देना है तो दो मुझे,
हर जगह प्रथम स्थान।
देना है तो दो मुझे,
हर दिन,हर समय सम्मान।
ऐसे एक दिन के लिए सम्मान कर,
मेरा ना किया करों तुम सब अपमान।

अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 414 Views
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