आज सुरक्षित नही बेटियाँ, अत्याचार जारी है।
आज सुरक्षित नही बेटियाँ, अत्याचार जारी है।
देख हाल ये अबलाओं का, भारत माँ चित्कारी है।।
कहने को कहते पूजनीय, फिर भी दुख में नारी है।
सहती आयी पीड़ा सदियों से, आज भी वो बेचारी है।।
आज सुरक्षित नही बेटियाँ, अत्याचार जारी है।।
लड़ी उसने हर मुश्किल जंग, हैवानों से हारी है।
कैसे निकले घर से बाहर, नारी की पीड़ा भारी है।।
खुले आम अब घूम रहे, सड़को पे बलात्कारी है।
होंठ सील गये अब नेताओं के, सबने मोन धारी है।।
आज सुरक्षित नही बेटियाँ, अत्याचार जारी है।।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️