आज सारे शब्द मेरे खामोश मन में विचार ही नहीं उमड़ते।
आज सारे शब्द मेरे खामोश मन में विचार ही नहीं उमड़ते।
आज एक हंस फिर से होने वाला है छोड़कर इस दुनिया को।
अजीब रंगमंच है यह दुनिया इस जहां की।
जिस रंग मंच पर व्यक्ति कई किरदार निभाने होते हैं होते हैं कई किरदार जीने होते हैं।
कल तक हम जिन्हें करते ना थे अपनी नजरों से दूर
आज हमेशा के लिए कर रहे छोड़ने की तैयारी।
जो कभी बोला करते थे रुक जा अभी समय नहीं है । घर पर बहुत काम है । आज देखो कैसे बिना काम के हैं कोई काम नहीं है उन्हें।