आज मुझे अपनी जिद्द देखनी है ।।
आज मुझे अपनी जिद्द देखनी है ।।
मेरे टूटने कि हद देखनी है।
उसके झूठे वादों का असबाब देखना है ।
मेरे उन आब-ए- तल्ख का अन्त देखना है ।
उसकी बेवफाई का अंजाम देखना है।
मेरी एक बात कि वो अहमियत देखनी है।
उसके हर इरकर का निष्कर्ष देखना है ।
अपनी मोहब्बत कि अन्त देखना है ।
अपने आत्म सम्मान का पतन देखना है।
आज मुझे अपनी जिद्द देखना है ।
आज मुझे अपने टूटने कि इन्तेहा देखनी है ।
आज इन आंखों को उसकी माशूक देखनी है ।
आज मुझे अपनी जिद्द देखनी है ।