Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jul 2021 · 3 min read

आज भी

तो फिर कल तुम्हारा आना पक्का समझूँ , तृषा ने मेरी आँखों मे झाँकते हुए कुछ इस तरह पूछा मानो मेरी आँखों से मेरा जवाब तलाश रही हो। अच्छा तो रविवार है कल , मुझे अचानक याद आया। हाँ, आ जाऊँगी लेकिन अभी तो मेरा पीछा छोड़ो मेरी माँ! मैंने हँसते हुए कहा। प्रत्युत्तर में वो भी मुस्कुरा दी।
तृषा को मैं अभी कुछ दिनों से ही जानती हूँ। दरअसल हुआ यूँ की मैं बुआजी के घर गर्मी की छुट्टियाँ में आई हुई थी और तृषा बुआजी के मकान में नए किरायेदार के रूप में शिफ्ट हुई थी। फैमिली में उसके अलावा उसके माँ और पापा थे। उम्र में मुझसे वो लगभग आठ महीने ही बड़ी है और एक क्लास सीनियर भी ,पर उसकी बातें कुछ इस तरह होती हैं जैसे उसे जिंदगी का अच्छा-खासा अनुभव हो। उसने अपनी बहुत सी बातें मेरे साथ साझा की हैं, कभी-कभी तो लगता है कि वो झूठ बोल रही है, पर वाकई में वो झूठ नहीं बोलती। मैं उसे कई बार आजमा चुकी हूं।
उसे सब कुछ याद रहता है, दुनिया भर की बातें और साथ ही साथ अपने क्लास के 6 सेक्शन्स की टॉपर भी है। मैं उसे M T कहक़र ही बुलाती हूँ (M T- Multitalented) वो मुस्कुरा देती है।
शनिवार की रात को ही मैंने अपना होमवर्क और सभी जरूरी काम निपटा लिए थे, क्योंकि मुझे पता था कि उसके पास बैठने का मतलब था कि फिर काफी लंबे समय की फुरसत। सुबह थोड़ा देर से नींद खुली। मैं नहाने के लिए वाशरूम की तरफ चली गई। नहाकर लौटी तो देखा कि तृषा मेरे कमरे पर ही थी। बिन बुलाया मेहमान, मैंने उसे देखकर कहा। मुस्कुराते हुए उसने जवाब दिया-मुझे लगा कि तुम्हें क्यों परेशान करूँ, माँ की मदद कराके मैं आ गई। तो बैठो मैंने कहा और किचन में गई। दो प्लेट्स में नाश्ता लगाया और कमरे पर आ गई। बुआजी पूजा कर रही थीं और भइया जिम गए हुए थे। तृषा अपने साथ एक डायरी लेकर आई थी। इसमें क्या है? मैंने पूछा। ये देखो, उसने एक लड़के का फोटो निकालकर मुझे दिखाया। ये कौन है, पहले कभी नही देखा और भी ना जाने कौन-कौन से सवाल मैंने कर डाले। थोड़ी देर तक वो खामोश रही। उसकी खामोशी मेरी बेचैनी को और भी बढ़ा रही थी। फिर उसने अपना पूरा वाकया मुझे सुनाया। मैं उसकी तरफ हैरानी से बस देखे जा रही थी। उसे देखकर यकीन नहीं हो रहा था कि खुदा इतनी छोटी उम्र में किसी को इतना समझदार बना सकते हैं।
खैर उसने जो भी बताया मुझे, वो सब कुछ लिखना नामुमकिन तो नहीं है पर उससे मेरी कहानी , कहानी ना होकर एक नॉवेल बन जाएगी।
आप सभी पाठकों को मैं संक्षेप में बता दूं कि तृषा ने उस लड़के का नाम ऋजुल बताया था। तृषा और वो बहुत अच्छे दोस्त होने के साथ-साथ एक दूसरे के बहुत करीब आ चुके थे। तृषा ने उसे मरने से बचाया था पर कुछ ऐसे हालात आये जो वाकई में बेहद निराशाजनक थे। अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद वो ऋजुल को खो चुकी थी। पूरी घटना सुनाते हुए उसकी आंखें आँसुओ से भींगी रही। मैंने उससे जाते – जाते पूछा था, तुम्हें इंतजार है उसका? मैं उसे हर्ट नहीं करना चाहती थी पर ये सवाल पूछना मुझे जरूरी लगा।
उसने बिना रुके जवाब दिया- हाँ, आज भी और हमेशा रहेगा। उसका आत्मविश्वास देखकर मैं हैरान थी। इसके आगे मैं कुछ नहीं कह सकी।
इस बात को एक लंबा अरसा हो गया। अब उससे बात भी नहीं होती।बुआजी ने बताया था कि वो लोग कहीं और चले गए। मैं आज तक उसे और उसकी सभी बातों को भूलकर भी नहीं भूल पाई हूँ। उसने मुझे बहुत कुछ सिखाया। ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि वो जहाँ भी हो , खुश रहे और उसका इंतजार अब खत्म हो गया हो।

प्रस्तुतकर्ता – मानसी पाल ‘मन्सू’
आत्मजा – श्री अभिलाष सिंह , श्रीमती प्रतिमा पाल
फतेहपुर

2 Likes · 2 Comments · 282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संग चले जीवन की राह पर हम
संग चले जीवन की राह पर हम
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
पथिक तुम इतने विव्हल क्यों ?
पथिक तुम इतने विव्हल क्यों ?
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कभी वाकमाल चीज था, अभी नाचीज हूँ
कभी वाकमाल चीज था, अभी नाचीज हूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मंत्र  :  दधाना करपधाभ्याम,
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
Harminder Kaur
Ab maine likhna band kar diya h,
Ab maine likhna band kar diya h,
Sakshi Tripathi
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
Ranjeet kumar patre
संगीत................... जीवन है
संगीत................... जीवन है
Neeraj Agarwal
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
गवर्नमेंट जॉब में ऐसा क्या होता हैं!
गवर्नमेंट जॉब में ऐसा क्या होता हैं!
शेखर सिंह
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
……..नाच उठी एकाकी काया
……..नाच उठी एकाकी काया
Rekha Drolia
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
Juhi Sulemani
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
नाकाम किस्मत( कविता)
नाकाम किस्मत( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
आम के छांव
आम के छांव
Santosh kumar Miri
🍀 *गुरु चरणों की धूल*🍀
🍀 *गुरु चरणों की धूल*🍀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
■सामयिक दोहा■
■सामयिक दोहा■
*प्रणय प्रभात*
★HAPPY FATHER'S DAY ★
★HAPPY FATHER'S DAY ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
Bundeli Doha pratiyogita 142
Bundeli Doha pratiyogita 142
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
तेरी परवाह करते हुए ,
तेरी परवाह करते हुए ,
Buddha Prakash
राम ने कहा
राम ने कहा
Shashi Mahajan
हर मानव खाली हाथ ही यहाँ आता है,
हर मानव खाली हाथ ही यहाँ आता है,
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश हो जाना।
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश हो जाना।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी दोस्ती मेरा प्यार
मेरी दोस्ती मेरा प्यार
Ram Krishan Rastogi
रास्ते  की  ठोकरों  को  मील   का  पत्थर     बनाता    चल
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
Dr Tabassum Jahan
*मृत्यु-चिंतन(हास्य व्यंग्य)*
*मृत्यु-चिंतन(हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
खुद से ज्यादा अहमियत
खुद से ज्यादा अहमियत
Dr Manju Saini
श्री राम आ गए...!
श्री राम आ गए...!
भवेश
Loading...