आज भी मुझे याद है
आज भी मुझे याद है |
कांख में झोला टांगकर स्कूल जाना
बोरा बिछाकर पालथी मार बैठ जाना
औंघी टूटते गुरूजी का पैना चलाना
परन्तु हमसब को प्रेमपूर्वक पढ़ाना
आज भी मुझे याद है |
गरमी छुट्टी बाद बरसात में स्कूल जाना
अलंग-आडी पर चढ़ना-गिरना संभल जाना
लड़ना-झगड़ना रास्ते का फिर मान जाना
टिफिन में खोमचा से लेकर चनाचूर खाना
आज भी मुझे याद है
घंटी बजने पर गुरूजी का वर्ग में आना
जल्दी-जल्दी किताब पर अंगुली घुमाना
समर्पण भाव से गुरूजी का हमें पढ़ाना
पहाडा के बाद सवैया,डेयोढा ढईया सिखाना
आज भी मुझे याद है
नैतिकता से लबरेज वर्ग में कहानी सुनाना
स्वाध्याय को गुरूजी द्वारा सर्वोत्तम बताना
भूल पर बेरहमी से गुरुजी का छडी चलाना
स्वान निद्रा,बको ध्यानंम का रहस्य बतलाना
आज भी मुझे याद है |