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16 Jan 2020 · 1 min read

आज भी तो है जरूरत राम जैसे अवतरण की

बहरे रमल मुसम्मन सालिम
अरकान:- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
वज़्न:- 2122 2122 2122 2122

गीत:- आज भी तो है जरूरत राम जैसे अवतरण की।।

रुक न पायी वो कहानी हो रहे सीताहरण की।
आज भी तो है जरूरत राम जैसे अवतरण की।।

जो निभाये हर वचन को ,राम हो वो आगे आये।
हो न जिसमें दोष कोई, ,अब वही पुतला जलाए।।
क्यो कदम पीछे हटे ,जब बात आई आचरण की।
आज भी तो है…..

लोभी ,कपटी ,व्याभिचारी, बैठे है बनकर पुजारी।
लूटते हैं भोगी ,ढोंगी ,आज भी सीता सी नारी।।
फिर नया अवतार लो अब,राह तकती श्री चरण की।
आज भी तो है..…..

मोह ,मद ,छल ,लोभ छोड़ो,मन का रावण खुद ही मारो।
ये लड़ाई खुद से खुद की,अब समर में तुम न हारो।।
राम भी लंकेश भी तुम ,सीख है बस अनुकरण की।
आज भी तो है..…..
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव ”

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Comments · 233 Views
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