आज बंदा अपने धंधे में अंधा हुआ है
आज बंदा अपने धंधे में अंधा हुआ है।
वक्त के कारण वह अब अंधा हुआ है।।
मिलता नही न्याय जल्दी से न्यायलय में।
न्याय भी आज फांसी का फंदा हुआ है।।
हो गई महंगी सभी चीजे बाजारों में।
केवल आदमी ही आज मंदा हुआ है।।
मिलता नही कोई धंधा वह नेता बनता है।
सत्ता तो नेताओ का आज धंधा हुआ है।।
मर गया है कोई भूख से तो क्या हुआ।
अंतिम संस्कार के लिए भी चंदा हुआ है।।
छोड़ते नही कफ़न भी मरे हुए शवों का।
मन आदमी का आज कितना गंदा हुआ है।।
होते थे सभी व्यापार बड़ी ईमानदारी से।
अब तो हर व्यापार काफी गंदा हुआ है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम