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27 Sep 2023 · 1 min read

आज फिर दर्द के किस्से

ग़ज़ल
~~~
आज फिर दर्द के क़िस्से तमाम कर आये
हम उसी ज़ुल्फ़ के साये में शाम कर आये

क्या तेरे दिल ने कहा तुझसे ये तुझे मालूम
ज़िन्दगी हम तेरी आँखों के नाम कर आये

हम वहीं आँख मिलाने का शौक़ रखते हैं
आप रो रो के जहाँ त्राहिमाम कर आये

चैन दिल में न तो आँखों में नींद आती है
इक गुनहगार को जबसे सलाम कर आये

माँ जो बीमार थी हाथों से खिलाया उसको
यूँ लगा जैसे कोई चार धाम कर आये

शायरी तुझसे जो इक़रार कर लिया हमने
उम्र भर जागने का इन्तज़ाम कर आये

लोग भरते हैं जिन्हें देखकर बड़ी आहें
हम ‘असीम’ आज उन्हें राम राम कर आये

✍🏻 शैलेन्द्र ‘असीम’

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 272 Views

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