आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
पुराने खत़ और तुम संग, यादों का साया
होता है।
बुलंदी को छूते,जहां में, मेरे हौसले पंछी बन,
मेरी चमकती नम आँखों में, सपना सुहाना
होता है।
✍️~ SPK Sachin Lodhi