आज तू नहीं मेरे साथ
आज तू नहीं मेरे साथ
तो क्या
तेरा वज़ूद
आज भी हमराह है मेरा
शाम की ख़ामोशियों में
आज भी
सुनता हूँ सरगोशिया अक्सर
जिनमें तेरा ज़िक्र होता है
डूबता उतरता रहता हूँ मैं
आज भी तेरी यादों के भंवर में
आज भी हर लम्हा
अक्स तेरा मेरी नज़रों में
क़याम करता है
हिमांशु Kulshrestha