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16 Jul 2024 · 1 min read

आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,

आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,
लेकिन रिश्तों में आज अजनबीपन छाया है ।
रिश्तों की मर्यादा ने सारी सीमाएं लांघ ली हैं ,
यहां अब अपनों ने ही अपनों की जान ली है ।

मौलिक
पूनम दीक्षित
रामपुर, उत्तर प्रदेश

1 Like · 169 Views
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